बाल विकास के कुछ प्रमुख मनोवैज्ञानिक एवं उससे संबंधित तथ्य

बाल विकास के कुछ प्रमुख मनोवैज्ञानिक एवं उससे संबंधित तथ्य
बाल विकास के कुछ प्रमुख मनोवैज्ञानिक एवं उससे संबंधित तथ्य

 

रूसो

जन्म : 1712 ई. जिनेवा

मृत्यु : 1778 ई. फ्रांस

पुस्तक : एमिल

=> रूसो के अनुसार शिक्षा के दो रूप होते हैं

   १. सार्वभौमिक शिक्षा     २. घरेलू शिक्षा

=> सर्व भौमिक शिक्षा सरकार द्वारा नियंत्रित होती है तथा घरेलू शिक्षा घर पर दी जाती हैं।

=> रूसो की प्रसिद्ध पुस्तक एमिल का उद्देश्य शिक्षा को कृत्रिमता से बचाना है।

=> सुव्यवस्थित स्वतंत्रता रूसो की प्रारंभिक शिक्षा का उद्देश्य है।

=>रूसो ने शिक्षा का विभाजन चार भागों में किया है

१. शैशव

२. बाल्यावस्था

३. किशोरावस्था

४. प्रौढ़ता

=> प्रकृति की ओर चलो कथन – रूसो

 

जॉन डीवी

जन्म : 1859 ई.

मृत्यु : 1952 ई.

पुस्तक : हाउ वो थिंक

=> डीवी के अनुसार शिक्षा उन सब शक्तियों के विकास का नाम है जिनके द्वारा मनुष्य में वातावरण पर नियंत्रण रखने तथा अपनी समस्या क्यों की समर्थ्य उत्पन्न होती है।

=> डीवी के अनुसार शिक्षा प्रक्रिया के 2 अंक हैं

          1.मनोविज्ञान           2.समाज

=> डीवी के प्रायोगिक स्कूल की स्थापना 1896 में शिकागो में जहां 4 वर्ष से 13 वर्ष तक के बालकों को शिक्षा दी जाती हैं।

=> डीवी के अनुसार शिक्षक एवं सामाजिक वह मनोवैज्ञानिक आवश्यकता है।

 

फ्रोबेल

जन्म : 1782 ई.

मृत्यु : 1852 ई.

पुस्तक : मनुष्य की शिक्षा

=> किंडरगार्टेन विधि को जन्म दिया।

=>जर्मनी ने किंडरगार्टेन का अर्थ उद्यान होता है।

=> किंडरगार्टेन पद्धति में बालकों की शिक्षा के लिए मातृ खेल तथा शिशु गीतों का प्रयोग किया जाता है।

=> फ्रोबेल ने अपने किंडरगार्टेन पद्धति में अमूर्त सीखने के स्थान पर क्रिया द्वारा सीखने पर बल दिया है।

=> शिक्षा के उद्देश्य को फ्रोबेल ने एकता के नियम पर आधारित किया है।

=> फ्रोबेल ने बालकों की शिक्षा के लिए जिन उपकरणों का संगठन किया उन्हें फ्रोबेल का उपहार कहा जाता है। इनकी संख्या 20 हैं।

 

टी.पी. नन

जन्म: 1870 ई.

मृत्यु : 1944 ई.

पुस्तक : एजुकेशन: इट्स डाटा एंड फर्स्ट प्रिंसिंपिल्स

=> नन के अनुसर बालक एक गति में बढ़ता है इसलिए उसे गति वह अवस्था के अनुरूप शिक्षा देनी चाहिए।

=> नंद के अनुसार बालक आश्चर्य लाभ तथा सिद्धांत इन तीनों अवस्थाओं से गुजरता है।

=> दण्ड के संबंध में विचार था कि दंड का उद्देश्य अर्थहीन प्रवृत्तियों को शुद्ध करके अच्छे कार्य में लगाना है।

=> शिक्षक के संबंध में उनका कहना था कि बालक को अपने व्यक्तित्व के निर्माण तथा गुणों के पूर्ण विकास में शिक्षक से सहायता मिलनी चाहिए

 

जॉन लॉक

जन्म : 1632 ई.

मृत्यु : 1704 ई.

पुस्तक : शिक्षा पर कुछ विचार

  • लोक के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य बालक को भद्र पुरुष बनाना है।
  • जॉन लॉक के मतानुसार पाठ्यक्रम में के निर्माण का मुख्य सिद्धांत है उपयोगिता। जो कुछ भी हम बालक को पढ़ायें वह उसके जीवन के लिये उपयोगी होना चाहिए।
  •  जॉन लॉक  ने शारीरिक शिक्षा को महत्वपूर्ण माना है।
  • जॉन लॉक ने शिक्षा के साधन के रूप में चर्च राज्य समुदाय और परिवार पर विचार व्यक्त करते हुए परिवार को सबसे अच्छी एजेंसी बताया है।
  • लॉक ने संवेदना को महत्वपूर्ण मानते हुए ज्ञान को अनुभवजन्य बताया था।
  • मन एवं स्वस्छ प्लेट के समान हैं जिस पर हम जो कुछ चाहे लिख सकते हैं यह कथन जॉन लॉक का है।
  • इतिहास से अधिक कोई विषय ना तो सिखाता है आनंद देता है या विषय विकसित मानव के अध्ययन की सिफारिश करता है वह छोटे बच्चों को आनंद प्रदान करता है। यह कथन भी जॉन लॉक का ही है

 

पेस्टोलॉजी

जन्म : 1746 ई.

 मृत्यु : 1827 ई.

पुस्तक : ल्योनार्ड एंड गर्टूड

=> ल्योनार्ड एंड गर्टूड पुस्तक में पेस्टोलॉजी ने विश्वास प्रकट किया कि शिक्षा द्वारा समाज की उन्नति हो सकती हैं।

=> पेस्टोलॉजी शिक्षा को प्रकृति गत विकास मानता था। या विकास सर्वांगीण विकास होना चाहिए।

=> पेस्टोलॉजी व्यक्ति के तीन पक्ष शारीरिक मानसिक व नैतिक तीनों का ही विकास शिक्षा का उद्देश्य मानता था।

=> पेस्टोलॉजी ने शब्दों के स्थान पर पदार्थ को अधिक महत्व दिया है इसके अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव से ही ज्ञान प्राप्त होता है अत: उसने प्रत्यक्ष अनुभव को आवश्यक बताया।

बताया।

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