बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (berojgari ki samasya par nibandh likhen)

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (berojgari ki samasya par nibandh likhen)

भूमिका :-

रोटी,कपड़ा और मकान हर व्यक्ति के प्राथमिक आवश्यकता है। वर्तमान में व्यक्ति के मूल्यांकन का स्तर अर्थपरक हो गया है। धर्म-कर्म दया और परोपकार की भावना का परिष्कार भी अर्थ द्वारा ही किया जा सकता है। युवकों की अनेक समस्याओं का समाधान रोजगार के साधन सुलभ करा करके ही किया जा सकता है। व्यक्ति कार्य करने का इच्छुक रहता है। शारीरिक रूप से कार्य करने में समर्थ होता है किंतु उसको कोई कार्य नहीं मिलता है कि वह अपनी जीविका कमा सकें। इस प्रकार की स्थिति बेरोजगारी की समस्या कहलाती हैं।
बेरोजगारी की समस्या थोड़ा बहुत प्रत्येक देश में है। बेरोजगारी की स्थिति युवाओं को मेकर प्रकार के मनोविकार उत्पन्न कर देती है। पंजाब, जम्मू कश्मीर, तथा पूर्वोत्तर राज्यों का उग्रवाद कुछ हद तक बेरोजगार युवकों के मानसिक उत्पीड़न का ही परिणाम है।

बेरोजगारी के प्रकार

बेरोजगारी को तीन भागों में बांट सकते हैं-
१. छिपी बेरोजगारी
२. अल्प बेरोजगारी
३. पूर्ण बेरोजगारी
१. छिपी बेरोजगारी :- भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसमें अधिकतर लोग अपनी जीविका कृषि के माध्यम से बिताते हैं। वे कृषि ही निर्भर रहते हैं यदि इनमें से कुछ व्यक्तियों को खीरे के कार्य से अलग भी कर दिया जाय तू भी उत्पादन में कमी नहीं होगी।
२. अल्प बेरोजगारी :- अल्प बेरोजगारी में ऐसे व्यक्ति आते हैं जो कभी मजदूरी कमा कर अपनी जिंदगी या अपनी जीवनयापन करते हैं या कम समय के लिए ही उन्हें काम मिलता हैफिर उन्हें दूसरा काम खोजने की आवश्यकता होती है ऐसे व्यक्ति अल्प बेरोजगारी होते हैं।
३. पूर्ण बेरोजगारी :- पूर्ण बेरोजगारी में ऐसे व्यक्ति आते हैं जो काम करने के योग्य तो होते हैं पर उन्हें काम नहीं मिल पाता है और वह दिन व दिन काम की तलाश में इधर उधर भटकते ही रहते हैं इसमें ऐसे व्यक्ति आते हैं जो उच्च शिक्षा ग्रहण तो कर लेते हैं पर उन्हें अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए काम नहीं मिल पाता है ऐसे व्यक्ति पूर्ण बेरोजगार होते हैं।

बेरोजगारी के कारण

बेरोजगारी के कारण कई है-
१. जनसंख्या वृद्धि
२. व्यवसायिक शिक्षा का अभाव
३. महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण
४. स्त्रियों द्वारा नौकरी
५. विदेशों से घुसपैठ
६. कुटीर और लघु उद्योग का सीमित विकास
७. अंधविश्वास
८. कंप्यूटरीकृत मशीनों का प्रयोग
९. शिक्षित बेरोजगार एवं आरक्षण।

बेरोजगारी दूर करने के सुझाव

१. जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण :- बेरोजगारी का बहुत बड़ा कारण जनसंख्या वृद्धि है अगर जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पाया जाए तो बेरोजगारी को दूर किया जा सकता है।

२. शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन :- बेरोजगारी का एक बहुत बड़ा कारण यह भी है कि शिक्षा प्रणाली में अभी तक किसी भी तरह से बदलाव नहीं किया गया है जिससे कि विद्यार्थियों को इनसे फायदा हो शिक्षा प्रणाली में विद्यार्थियों को स्तर से ही व्यवसायिक पाठ्य को शामिल करना चाहिए जिससे कि बच्चे खुद से अपनी व्यवसाय शुरू कर सकें और अपनी बेरोजगारी को दूर कर सके क्योंकि आज के युग में बहुतों के पास बस डिग्री ही पड़ी है पर रोजगार नहीं है।

३. स्व-रोजगार योजनाओं को प्रोत्साहन :-आज भारत में बहुत से शिक्षित व्यक्ति है उनमें इतनी काबिलियत है कि वे खुद की कंपनियां खोलकर बहुतों को रोजगार दे सकते हैं इसमें सरकार को भी इन शिक्षित व्यक्तियों की सहायता करनी चाहिए ताकि  वे अपने व्यवसाय में बाकी लोगों को भी रोजगार दे सके।

४. कुटीर सदा लघु उद्योग का विकास :- प्राकृतिक स्रोतों का प्रयोग करके छोटे उद्योग धंधे का विकास किया जाए। लघु उद्योग अधिक हाथों का रोजगार के अवसर सुलभ कर सकते हैं।

५. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार स्थापित करना :- ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार स्थापित किया जा सकता है जैसे सिलाई करना, बागवानी करना, मत्स्य पालन, और भी बहुत सारे ऐसे रोजगार जिसमें कम से कम 10 से 15 लोगों को रोजगार दे सके ऐसे-ऐसे रोजगार ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित करना चाहिए ताकि बेरोजगारी को दूर किया जा सके।

बेरोजगारी दूर करने के सरकारी प्रयास

१.रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने तथा बेरोजगारों का मार्गदर्शन करने के लिए रोजगार कार्यालयों की संख्या में वृद्धि की गई है।

२. लघु तथा कुटीर उद्योग के विकास के व्यापक प्रबंध किये गये हैं।

३. कारीगरों तथा दस्तकारों को सलाह देने के लिए प्रत्येक जिले में एक उद्योग सलाह केंद्र स्थापित किया जा रहा है।

४. पंजीकृत बेरोजगारों को सरकार की ओर से बेरोजगारी भत्ता देने की व्यवस्था की योजना है।

५. शिक्षित किसानों को सलाह देने के लिए कृषि सेवा केंद्र स्थापित किए गए हैं।

६. शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने हेतु 2 अक्टूबर 1993 से प्रधानमंत्री रोजगार योजना प्रारंभ की गई है।

७. ग्रामीण युवकों की स्वरोजगार हेतु प्रशिक्षण योजना तथा जवाहर रोजगार योजना चलायी गयी हैं।

८. नगरीय क्षेत्रों के युवाकों को नेहरू रोजगार योजना के अंतर्गत शिक्षक उद्यान योजना, शहरी सवेतन रोजगार योजना उन्नयन योजना के अंतर्गत रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाते हैं।

निष्कर्ष

आज बेरोजगारी इतनी बढ़ गई है कि इसे दूर करने में काफी समय लगेगा पर इसमें भी हमें ऊपर बताएंगे सुझावों का पालन करना होगा। शिक्षा में व्यवसायिक शिक्षा को भी शामिल करना होगा तथा लोगों को इस काबिल बनाना होगा कि वे स्वयं के रोजगार स्थापित कर अपना जीवनयापन कर सकें। सरकारों को भी बेरोजगारी दूर करने के लिए काफी प्रयास करने की आवश्यकता है।

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