पाठ्यक्रम का महत्व बताइए (pathyakram ka mahatva bataiye) school curriculum

पाठ्यक्रम का महत्व बताइए (pathyakram ka mahatva bataiye) school curriculum

पाठ्यक्रम का महत्व बताइए (pathyakram ka mahatva bataiye)
pathyakram ka mahatva kya hai

 school curriculum

“Curriculum” लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है”छात्रों का कार्यक्षेत्र”। पहले पाठ्यक्रम को ही पाठ्यवस्तु या कोर्स के अध्ययन का ढांचा समझा जाता था। परंतु नयी अवधारणा है कि पाठ्यक्रम और पाठ्यवस्तु दोनों का अर्थ अलग-अलग है। पाठ्यक्रम का क्षेत्र (scope of curriculum)  बहुत व्यापक है। इसमें से सभी पक्ष आते हैं जिसके द्वारा विद्यालय, कक्षा, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, खेल के मैदान(play ground) आदि के क्षेत्र में होने वाले गतिविधि द्वारा छात्र अनुभव प्राप्त करते हैं। पाठ्यक्रम बच्चे के व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास पर बल देता है, जिससे कि बालक वातावरण तथा समाज में अपना सामंजस्य स्थापित कर सकें। पाठ्यवस्तु (syllabus)  पाठ्यक्रम (curriculum) के अंतर्गत आता है जोकि हमें अपने विषय की विस्तृत विवरण देता है। एक अच्छे शिक्षा के विचार में पाठ्यक्रम का अर्थ सिर विद्यालय में पढ़ाये जाने वाले विषयों से नहीं हैं बल्कि यह छात्र के उन सारे अनुभवों से है जो वह विद्यालय में प्राप्त करता है। इस प्रकार छात्र का पूरा स्कूली जीवन(school life) है पाठ्यक्रम है जो छात्रों को बेहतर से बेहतर बनाता है।

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पाठ्यक्रम का महत्व बताइए(pathyakram ka mahatva kya hai)

सभी विद्यालयों या महाविद्यालय में शिक्षा के निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कुछ विशेष साधनों का उपयोग किया जाता है। पाठ्यक्रम भी एक ऐसा ही साधन है जिसकी सहायता से प्रत्येक विद्यार्थी को उसके समय के सदुपयोग एवं ज्ञानार्जन की दिशा में अग्रसर होते जा रहा है साथ ही पाठ्यक्रम शिक्षकों को अपने कर्तव्य की पूर्ति में भी मदद मिलती है।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि शिक्षा की प्रक्रिया में पाठ्यक्रम का विशेष महत्व है।पाठ्यक्रम (curriculum) के अभाव में शिक्षण कार्य सफलता पूर्ण संपन्न नहीं हो पाता और ना ही उनके उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है इसलिए पाठ्यक्रम का महत्व शैक्षिक प्रक्रिया में केंद्र बिंदु के रूप में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसके महत्व निम्नलिखित है-
१.शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक
२. शिक्षण सामग्री के निर्धारण में सहायक
३. शिक्षण विधियों के निर्धारण में सहायक
४. विशेष सामग्री के विभाजन में सहायक
५. चरित्र निर्माण में सहायक
६. व्यक्तित्व के विकास में सहायक
७. अनुसंधान एवं अविष्कार में सहायक
८. तत्कालीन घटनाओं के ज्ञान में सहायक
९. दर्शन और शिक्षा की प्रवृत्तियों को दर्शाने में सहायक
१०. नैतिक विकास में सहायक

१.शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक :-

पाठ्यक्रम (curriculum) छात्रों के शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक प्रदान करता है। छात्रा का शैक्षिक उद्देश्य शिक्षा प्राप्त कर चरित्रवान व्यक्ति बनना और जीविकोपार्जन के लिए पैसा कमाना होता है पाठ्यक्रम इन सभी चीजों को हासिल करने में मदद करता है क्योंकि बिना उद्देश्य कार्य सही मार्ग पर नहीं चल सकती है शिक्षण प्रक्रिया में भी यही बात है बिना उदेश्य के चलने वाले शिक्षा ठीक उसी प्रकार से होता है जिस प्रकार से नाव को नदी में बिना पतवार के चला नहीं सकते इधर उधर डगमगाते हुए अपने निर्धारित लक्ष्य (उद्देश्य) पर कब पहुंचे इसका कोई निश्चित ही नहीं होता या कहीं और भी लेकर जा सकता है। ठीक इसी प्रकार पाठ्यक्रम के अभाव में शैक्षिक उद्देश्य की प्राप्ति ठीक प्रकार से नहीं हो सकती।

२. शिक्षण सामग्री के निर्धारण में सहायक :-

शिक्षण सामग्री जैसे मॉडल(model) चार्ट(chart) प्रोजेक्ट(project) कंप्यूटर (computer)के द्वारा कक्षा को ज्यादा प्रभावित किया जा सकता है। इन सभी चीजों के प्रयोग से छात्रों में विषय के प्रति रूचि और आकर्षण बढ़ता है। साथ ही विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था को सही तरीके से चलाने के लिए समय सारणी और विभिन्न विषयों के लिए समय का आवंटन निर्धारित किया जाता है।अगर ऐसा ना किया जाए तो विद्यार्थियों को पता ही नहीं चलेगा कि उन्हें कब क्या पढ़ना है और शिक्षक भी उन्हें क्या पढ़ाएंगे इस प्रकार शिक्षण सामग्री (teaching learning meterial)पाठ्यक्रम  एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

३. शिक्षण विधियों के निर्धारण में सहायक :-

पाठ्यक्रम के द्वारा शिक्षक कक्षा के जरूरत के अनुसार शिक्षण विधियों का प्रयोग करता है। कक्षा के सोचने समझने, विषय के प्रति रुचि को जानकर शिक्षक अपने शिक्षण विधियों का आवश्यक प्रयोग करता है। इन सभी विधियों (method) का ज्ञान शिक्षक(teacher) को कहां से प्राप्त होगा? यह ज्ञान अध्यापक(teacher) को पाठ्यक्रम(curriculum) ही प्रदान करता है प्रत्येक विषयों को पढ़ाने के लिए अलग-अलग प्रकार की शिक्षण विधियों (teaching methods) का प्रयोग किया जाता है। पाठ्यक्रम के अभाव में शिक्षक को इस बात का ज्ञान ही नहीं हो सकता है कि किस कक्षा में किस प्रकार की विषय वस्तु को किस विधि से पढ़ाना है इस प्रकार पाठ्यक्रम शिक्षण विधियोंं(teaching methods) के निर्धारण में सहायक होता है।

४. विषय सामग्री के विभाजन में सहायक :-

शिक्षण या विद्यालय में विषय सामग्री का होना अति आवश्यक है लेकिन विषय सामग्री के विभाजन की बात करें तो किस स्तर के कक्षा में कितने विषय होंगे और कौन-कौन से विषय होंगे इन सभी विषय सामग्री के विभाजन में पाठ्यक्रम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि पाठ्यक्रम(curriculum) के अभाव में हम विषय सामग्री का विभाजन नहीं कर सकते अतः हम कह सकते हैं कि हर स्तर के कक्षा के लिए विषय सामग्री के विभाजन में पाठ्यक्रम का महत्व (importance of curriculum) महत्वपूर्ण है।

५. चरित्र निर्माण में सहायक :-

पाठ्यक्रम(curriculum) में शामिल चीजें जैसे अनुशासन, समय की प्रतिबद्धता, खेल, क्विज आदि के द्वारा बच्चों के चरित्र का निर्माण में सहायता प्रदान करती हैं। इन सभी के द्वारा बच्चों में ईमानदारी परोपकारी मिलकर काम करने की भावना जागृत होती है। इसके साथ ही हमें एन.सी.सी,(NCC) स्काउटिंग और विभिन्न पर्वों का सांस्कृतिक कार्यक्रम स्कूलों आयोजित करने का मौका पाठ्यक्रम ही देता है पता हमें इसे भी पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। जिससे बच्चों में नागरिकता के उत्तम गुणों का विकास होता रहे। क्योंकि इन सभी चीजों से ही बच्चे सीखते और अपने जीवन में अपना आते भी हैं और यह अवसर पाठ्यक्रम(curriculum) के द्वारा ही प्राप्त होता है।

६. व्यक्तित्व के विकास में सहायक :-

छात्रों में व्यक्तित्व का निर्माण करना शिक्षा का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। पाठ्यक्रम इसके लिए महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश करती हैं। बच्चों के अच्छे व्यवहार, बोली, परोपकार की भावना, नैतिकता की भावना, आदि द्वारा ही एक अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण होता है पाठ्यक्रम इन सभी का ध्यान रखते हुए विद्यालयों में बच्चों के व्यक्तित्व के विकास में सहायक सिद्ध होता है।

७. अनुसंधान एवं अविष्कार में सहायक :-

विज्ञान प्रदर्शनी, प्रयोगशाला, मॉडल बनाने आदि चीजें भी पाठ्यक्रम का हिस्सा है। इन सभी चीजों द्वारा नए-नए अविष्कार और अनुसाधन में सहायता मिलती है।इनके द्वारा बच्चों के मन में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा मिलता है।क्योंकि अगर बच्चे स्कूलों या विद्यालयों में इन सारी चीज़ें खुद से करते हैं और देखकर सीखते हैं तो उनके अंदर भी इस प्रकार के भाव जागृत होता है इसलिए शिक्षक पाठ्यक्रम की मदद से बच्चों को विभिन्न प्रकार के प्रोजेक्ट देते ही रहते हैं ताकि उन्हें बच्चे आपने काबिलियत के अनुसार विकसित कर सके और भविष्य में भी इससे उन्हें कुछ फायदा हो।

८. तत्कालीन घटनाओं के ज्ञान में सहायक :-

समाचार पत्र, न्यूज़, रेडियो, टेलीविजन आदि के द्वारा हम देश विदेश में घटित घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। छात्रों को तत्कालीन घटनाओं के ज्ञान में सहायता प्रदान करती है। इनका ज्ञान बच्चों को होना अति आवश्यक है ताकि वह घटनाओं पर अपनी राय व्यक्त कर सकें और अच्छे पक्षों को समाज में रख सकें। इसके साथ ही यह युग औद्योगिकरण का युग है। विज्ञान व तकनीकी अपने चरम पर हैं। देशों के मध्य की दूरियां घटा रही है वह उनके माध्य अनेकों संबंध व समझौते हो रहे हैं इन सभी को देखते हुए हमें इन विषयों को भी पाठ्यक्रम(curriculum) में शामिल करना चाहिए और या हमें पाठ्यक्रम द्वारा ही प्राप्त हो सकता है इसलिए तो आज सभी विद्यालयों को स्मार्ट बनाया जा रहा है और बच्चों को स्मार्ट क्लास(smart class) प्रदान किए जा रहे हैं ताकि बच्चों को तत्कालीन घटनाओं की जानकारी शीघ्र ही प्राप्त हो सके।

९. दर्शन और शिक्षा की प्रवृत्तियों को दर्शाने में सहायक :-

पूरे संसार में बहुत से ऐसे दर्शनिक पैदा हुए जो शिक्षा को बदलना चाहते थे और बहुत हद तक बदल भी चुके हैं आज हम उन्हीं के बदलाव के अनुसार शिक्षा ग्रहण करते हैं ऐसे ही महान दर्शनिक हमारे भारत देश में भी जन्म लिये थे जैसे महात्मा गांधी, अरविंदो, रविंद्रनाथ टैगोर जिनके शिक्षा नीति आज भी बच्चों के लिए फायदेमंद साबित होते हैं। इसके साथ ही साथ आज भी शिक्षा की नीतियों में बदलाव आते ही रहते हैं ताकि बच्चों को इससे काफी फायदा हो सके क्योंकि जैसे जैसे देश या संसार उन्नति की ओर बढ़ते जा रहा है शिक्षा की नीतियों को भी बदलना उतना ही उचित समझा जाता है।

१०. नैतिक विकास में सहायक :-

हर छात्र ज्ञानी व पंडित तो बन जाता है और अपने जीवन में सफलता हासिल भी कर लेता है पर जब तक उनके अंदर नैतिकता की भावना ना हो, दूसरों के प्रति उत्तम व्यवहार या विचार ना हो तो ऐसे इंसान शिक्षा ग्रहण करने के बावजूद भी एक निकम्मा ही होता है पाठ्यक्रम के विषयों में ऐसे
-ऐसे पाठ्य वस्तुओं को शामिल किया जाता है कि बच्चे उन सभी विषयों से कुछ सीख पायें और अपने अंदर की नैतिकता का विकास कर सके। इसमें पाठ्यक्रम का महत्व(importance of curriculum) महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष:-

पाठ्यक्रम(curriculum) जीवन से जुड़ी हुई है जिसकी जरूरत बच्चों के विभिन्न आयु में अलग-अलग हैं बच्चों के सीखने और सिखाने के तरीकों को सम्मिलित करता है बच्चों के उन सारे अनुभव को सम्मिलित करता है जो उन्हें अपने विद्यालय से प्राप्त होता है तथा उन सारी चीजों का परिणाम जो उन्हें प्राप्त होता है पाठ्यक्रम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए आवश्यक हैं इस प्रकार हर शिक्षक को पाठ्यक्रम का महत्व( importance of curriculum) जानना उचित है।

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