हंटर कमीशन आयोग (भारतीय शिक्षा आयोग 1882)


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सन् 1954 के वुड के आदेश पत्र के फल स्वरुप भारतीय शिक्षाओं के अन्य क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। सन 1955 के अंत तक प्रत्येक प्रांत में लोक शिक्षा विभाग की स्थापना हो गई। सहायता अनुदान प्रणाली प्रचलित की और विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने की योजना क्रियान्वित की गई। परंतु 1957 की क्रांति की विस्फोट ने भारतीय शिक्षा की प्रगति का मार्ग कुछ समय के लिए अरुध्द कर दिया। यह क्रांति कंपनी के शासन के विरुद्ध भारत वासियों के प्रबल असंतोष की प्रति थी। अतः सन् 1858 में ब्रिटिश पार्लियामेंट ने कंपनी की शासन को समाप्त करके इंग्लैंड की रानी विक्टोरिया को भारत की महारानी घोषित किया।

इस प्रकार भारत के शासकों में परिवर्तन हो गया। किंतु कंपनी कर्मचारियों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। क्योंकि वे भारत की सामग्री के सेवकों की रूप में यथावत कार्य करते रहें। कंपनी के अधिकारी रह सूखने के कारण उनके मानसिक दृष्टिकोण में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। अतः उन्होंने आदेश पत्र के इस निर्देश के प्रति थोड़ा भी ध्यान नहीं दिया। उनकी इस हट धर्मी से ना केवल भारत में वरण इंग्लैंड में भी व्यापक असंतोष की लहर फैल गई।

‌‌ भारतीय से सहानुभूति रखने वाले इंग्लैंड के कुछ व्यक्तियों ने इस असंतोष को भारत में शिक्षक की सामान्य समिति का संगठन किया। समिति और भारत के सौभाग्य से ब्रिटिश पार्लियामेंट ने सन 1980 लॉर्ड रिपन को इस देश के नए गवर्नर जनरल के रूप में नियुक्त किया। लॉर्ड रिपन 3 जनवरी 1882 को भारतीय शिक्षा आयोग का गठन किया। रिपन अपने परिसर के या अपने समिति के एक सदस्य सर विलियम के हंटर की अध्यक्षता में 20 सदस्यीय आयोग का गठन किया। इस आयोग को हंटर कमीशन या भारतीय शिक्षा आयोग 1882 भी कहा जाता है।

 

हंटर आयोग के अध्यक्ष सर विलियम हंटर वह सचिव बीएल सायरा थे। इस आयोग में कुल 25 सदस्य थे। जिनमें 7 भारतीय भी थे। आयोग ने संपूर्ण देश के शैक्षिक कार्यकलपों वह परिस्थितियों की जांच व गहन अध्ययन कर मार्च 1883 में 600 पन्नों का एक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। जिसमें शिक्षा के लगभग सभी स्तरों एवं पक्षों पर महत्वपूर्ण सिफ़ारिशें की गई थी।

हंटर आयोग के सुझाव व सिफारिशें

आयोग ने भारतीय शिक्षा के सभी अंगों और क्षेत्रों का गहन अध्ययन करने के पश्चात उनके संबंध में अपने सुझाव को लिखा-

  • देशी शिक्षा को प्रोत्साहन
  • प्राथमिक शिक्षा
  • माध्यमिक शिक्षा
  • कॉलेज शिक्षा
  • विशिष्ट शिक्षा

विशिष्ट शिक्षा के अंतर्गत इन शिक्षाओं को शामिल किया गया

१. मुसलमानों की शिक्षा

२. स्त्री शिक्षा

३. धार्मिक शिक्षा

४. हरिजन तथा अन्य वर्गों की शिक्षा

५. आदिवासी तथा पहाड़ी जातियों की शिक्षा

६. व्यवसायिक शिक्षा

७. सहायता अनुदान प्रणाली

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