शिक्षा की प्रकृति का वर्णन करें(shiksha ki prakriti)
शिक्षा मानव जीवन का एक अभिन्न अंग है जो जीवन मरण निरंतर चलता ही रहता है। एक मनुष्य किसी भी स्थान पर शिक्षा प्राप्त कर सकता है। बालक एवं बालिका को एक निश्चित समय में जो शिक्षा दी जाती है उसे स्कूली शिक्षा कहते हैं लेकिन बालक या बालिका का शिक्षा प्राप्त करने का समय सिर्फ यही तक सीमित नहीं होता है वह अपने जीवन में प्रति क्षण कुछ ना कुछ सीखता ही रहता है उसे ही हम शिक्षा कहते हैं शिक्षा से मनुष्य को कई प्रकार से लाभ होता है जो उनके जीवन को खुशहाल जीवन बनाता है।
आज हम शिक्षा की प्रकृति के विषय में पढ़ेंगे।
शिक्षा की प्रकृति (nature of education)
१. शिक्षा बालक सर्वांगीण विकास में सहायक होता है।
२. अनुभवों का पुनर्गठन एवं पुनर्रचना का ज्ञान कराता है।
३. उत्तम नागरिकता के निर्माण में सहायक है।
४. जन्मजात शक्तियों के विकास में मदद करता है।
५. शिक्षा प्रौढ़ जीवन के लिए तैयारी करवाता है।
६. मनुष्य को जीवित रहने के लिए वातावरण से अनुकूलन करना सिखाता है।
७. भौतिक संपन्नता की प्राप्ति के योग्य बनाता है।
८. नागरिक तथा सामाजिक कर्तव्यों की भावना की प्रशिक्षण देता है।
९. मानव सभ्यता तथा संस्कृति का संरक्षण करता है।
१०. शिक्षा मानव जीवन को अनुशासित बनाता है।
११. शिक्षा मनुष्य के भावी जीवन में तैयारी के योग्य बनाता है।
१२. शिक्षा आत्मा निर्भर बनाने के मार्ग को प्रसस्त करता है।
१३. नैतिक मूल्यों को समझने में सहायक होता है।
१४. शिक्षा समाज सुधारक भी है क्योंकि शिक्षा प्राप्त कर बुरे से बुरे समाज को भी एक नैतिक समाज में बदला जा सकता है।
१५. यह गतिशील प्रक्रिया है।
१६. यह संकुचित तथा व्यापक होता है।
१७. शिक्षा विज्ञान तथा कला का समन्वित रूप है।
१८. शिक्षा जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है।
१९. शिक्षा हमें परिस्थितियों से लड़ने के अनुकूल बनाता है।
२०. शिक्षा हमें व्यवसाय भी प्रदान करता है।
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