sarva shiksha abhiyan (सर्वशिक्षा अभियान) school chale hum abhiyan

Sarva Shiksha Abhiyan (सर्वशिक्षा अभियान) School Chale Hum Abhiyan

ssa full form : sarva shiksha abhiyan

सर्वशिक्षा अभियान (school chale hum abhiyan):

15 अगस्त सन 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ स्वतंत्रता के पश्चात जनवरी 1950 भारतीय संविधान लागू किया गया। भारतीय संविधान को विश्व की सबसे विस्तृत संविधान के रूप में माना जाता है इस संविधान के अनुच्छेद 21अधीन शिक्षा का अधिकार एक विवक्षित अधिकार है यह अधिकार जीवन सुरक्षा एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है।
            जीवन सुरक्षा एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता का या मूल अधिकार नागरिकों को अपने जीवन की सुरक्षित रखने या सार्थक ढंग जीने की अनुमति देता है भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 में नागरिकों को विचारों की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति तथा रोजगार संबंधी जो अधिकार दिए गए हैं वह भी शिक्षा के अधिकार की ओर संकेत करती हैं सन् 2001-2002 में 86 वें संविधान के संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान अनुच्छेद 21 को सम्मिलित किया गया जिसमें प्रथमिक शिक्षा को नागरिकों का मूल अधिकार बना दिया गया। अनुच्छेद 21a में कहा गया है कि ”राज्य द्वारा 6 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा यथा निर्धारित मौलिक अधिकार के रूप में दी जानी चाहिए।”

     अनुच्छेद 21 का शिक्षा का अधिकार 1 अप्रैल 2010 प्रभावी हुआ RTE अधिनियम में निशुल्क अनिवार्य शब्द शामिल है निशुल्क शिक्षा का अर्थ है किसी बालक को उसकी माता पिता सरकार द्वारा स्थापित विद्यालयों में अलग-अलग प्रवेश दिलाना अनिवार्य शिक्षा शब्द का अर्थ है सरकार द्वारा स्थापित विद्यालय में 6 से 14 वर्ष तक आयु के प्रत्येक बालक का अनिवार्य रूप से प्राथमिक शिक्षा में प्रवेश दिलाना। सर्व शिक्षा अभियान को स्कूल चलें हम (school chale hum abhiyan) अभियान के नाम से भी जाना जाता है।

सर्वशिक्षा अभियान के अर्थ

सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम वर्तमान समय में भारत की शिक्षा व्यवस्था में सभी को शिक्षा देने के लिए चलाए जाने वाला एक कार्यक्रम है जिसका आरंभ 2021 में किया गया था। यह अभियान प्राथमिक स्तर पर सभी के लिए शिक्षा देने के लिए चलाया गया है।

सर्वशिक्षा अभियान को चलाने का कारण या सर्वशिक्षा अभियान को चलाने के पीछे का कारण :-

१. संविधान की धारा 45 के अनुसार देश में निशुल्क 6 से 14 वर्ष के बीच सभी बच्चों के लिए किया जाना था परंतु इसके प्रगति इतनी सशक्त नहीं थी। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए या अभियान चलाया गया था। प्रथमिक शिक्षा के क्षेत्र में पुलिस ने प्रगति के बावजूद वर्ष 2000 में लगभग 2.4 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जाते थे। लगभग 50% बच्चे आठवीं की कक्षा आते-आते स्कूल छोड़ देते थे।
२. भारत विश्व की सबसे बड़ी शिक्षा व्यवस्थाओं में एक होने पर भी यह स्कूल ना जाने वाले बच्चों की संख्या विश्व में सर्वाधिक अर्थात् कुल जनसंख्या का 22% है।
३. सन 1910 में गोपाल कृष्ण गोखले ने केंद्रीय सभा में अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के बारे में सर्वप्रथम एक प्रस्ताव पेश किया जिसे शासन द्वारा अस्वीकार कर दिया गया। सन 1917 में मुंबई क्षेत्र में बहुत जद्दोजहद के बीच प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम को सर्वप्रथम अनिवार्य किया गया तथा 1937 तक इस कार्यक्रम ने गति पकड़ी और इसे के प्रांतों में लागू कर दिया गया। इसके बावजूद 1946 तक अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम में कोई विशेष प्रगति नहीं हो सकी।
४. सन 1947 में देश स्वतंत्र तो हुआ लेकिन राजनीतिक तथा सामाजिक उथल-पुथल के कारण उचित शिक्षा का वातावरण नहीं बन सका।
५. सन 1950 में देश का नया संविधान लागू हुआ जिसके अनुच्छेद 45 में सन 1960 तक 14 वर्ष के सभी बच्चों को निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा देने की बात कही गई। इसमें कहा गया कि संविधान लागू होने के 10 वर्ष के अंदर राज्य अपने क्षेत्र के सभी बालकों को 14 वर्ष की आयु होने तक निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करेगा, परंतु 14 वर्ष तक के बालकों का अनिवार्य व निशुल्क शिक्षा प्रदान करने का यह संवैधानिक निर्देश वास्तविक रुप से अभी काफी दूर है। सरकार द्वारा अनेक प्रयासों के बावजूद उन्हें उतनी सफलता नहीं मिल पाई है। अत: केंद्र सरकार व मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संयुक्त प्रयासों से सर्व शिक्षा अभियान चलाया गया।

सर्वशिक्षा अभियान के उद्देश्य

१. सन 2010 तक 6 से 14 वर्ष समूह के सभी बच्चों को प्रासंगिक व उपयोगी शिक्षा प्रदान करना।
२. 2003 तक सभी विद्यालय शिक्षा गारंटी केंद्र वैकल्पिक विद्यालय स्कूल को वापस कैंपस में लाना।
३. 2007 तक सभी बच्चे 5 वर्ष तक के प्रारंभिक शिक्षा पूरी करें।
४. 2010 तक सभी छात्र 8 वर्षीय प्रारंभिक शिक्षा पूरी करें।
५. जीवन के लिए शिक्षा पर बल के साथ संतोषप्रद गुणवत्ता वाली प्रारंभिक शिक्षा को आधार बनाना।
६. 2007 तक प्रारंभिक स्तर और 2010 तक प्राथमिक शिक्षा में योंग अथवा समाजिक कोटि संबंधी अंतराल दूर करना। इसमें या व्यवस्था की गई है कि योंग अथवा सामाजिक दूरी को कम किया जाए। इसमें शिक्षकों माता-पिता को भी जवाबदेह बनाया गया है।
७. 2010 तक सर्व भौमिक शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करना।
८. स्कूल को इस प्रकार बनाया जाए जिसमें क्षेत्रीयता और लिंग भेद का भेदभाव ना हो।
९. स्कूल के प्रबंधन में समुदाय की भागीदारी पक्ष को क्रियाशील बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए।

इन सभी उद्देश्य के बावजूद सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार है-

१. 2003 तक 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चे स्कूल में होना चाहिए।
२. 6 से 14 वर्ष आयु की सभी बच्चे 5 वर्ष की प्रारंभिक प्रारंभिक शिक्षा पूरी करना चाहिए।
३. 6 से 14 वर्ष के बच्चों के 2010 तक 8 वर्षों की प्रारंभिक शिक्षा की ओर ध्यान देना चाहिए।
४. जीवन के लिए शिक्षा पर बल देते हुए संतोषजनक शिक्षा की ओर ध्यान केंद्रित कराया जाए।
५. प्राथमिक स्तर पर 2007 से 2010 तक लड़के और लड़कियों के बीच सामाजिक विषमता समाप्त कराई जाए।
६. 2010 तक यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी बच्चे अपनी शिक्षा जारी रखें।
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