पत्रकारिता का स्वरूप और प्रकार।।भारत में पत्रकारिता का आरंभ कब हुआ।।

नमस्कार दोस्तों आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से पत्रकारिता के बारे में जानेंगे जिसमें हम पत्रकारिता का स्वरूप।। पत्रकारिता का प्रभेद या पत्रकारिता के प्रकार।। तथा भारत में पत्रकारिता का आरंभ कब से हुआ ।। इसके बारे में पढ़ेंगे जिससे कि आपको पत्रकारिता के बारे में अच्छी जानकारियां प्राप्त होगी।


पत्रकारिता का स्वरूप और प्रभेद(patrakarita ke Swaroop)

पत्रकारिता का स्वरूप निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है-

१. माध्यम

२. उद्देश्य

३. प्रस्तुतीकरण

 

१. माध्यम

प्रिंट माध्यम या मुद्रित माध्यम मैं पत्रकारिता का स्वरूप लिखित और स्थित चित्रों के रूप में होता है। सजावट के लिए अक्षरों का आकार छोटा या बड़ा किया जा सकता है और आवश्यकतानुसार संबंधित विषय के आंकड़े सूची और ज्यामिति स्वरूप आदि दिए जा सकते हैं।

पत्रकारिता के माध्यम दो तरह से किए जा सकते हैं-

क) श्रव्य माध्यम

श्रव्य माध्यम अर्थात रेडियो में पत्रकारिता का स्वरूप अदृश्य होता है केवल ध्वनि के आधार पर किसी स्थिति की कल्पना की जा सकती है। इसमें पत्रकारिता का स्वरूप शब्दों से खींचे गये चित्र का होता है।

 

ख) दृश्य श्रव्य माध्यम

दृश्य श्रव्य माध्यम अर्थात टेलीविजन या टीवी पर लिखित या स्थित दृश्यों के रूप में पत्रकारिता देखी जा सकती है साथ ही प्रस्तुतकर्ता द्वारा घटना या स्थिति का विवरण बोलकर भी बताया जाता है अर्थात इस माध्यम में पत्रकारिता के तीनों स्वरूप लिखित, श्रव्य, दृश्य विद्यमान होते हैं।

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२. उद्देश्य

सूचना जानकारी मनोरंजन या अन्य जिस किसी उद्देश्य से पत्रकारिता की जा रही है उसका स्वरूप भी उसी के अनुरूप होगा मनोरंजन जगत अर्थात् फिल्म टीवी फैशन मॉडलिंग उत्सव या सांस्कृतिक समारोह आदि के लिए होने वाली पत्रकारिता में भाषा शैली विशिष्ट होगी। साथ ही इनके लिए आकर्षक चित्र या दृश्य का उपयोग करना आवश्यक होगा जो इसके प्रति आम लोगों की रुचि को बढ़ाएगा। परंतु दूसरी ओर भयानक दुर्घटना भीषण प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप बाढ़ हिमस्खलन आदि से जुड़ी पत्रकारिता करते समय विचलित करने वाले हैं विषयों को प्रकाशित या प्रसारित नहीं किया जाता है। ऐसी पत्रकारिता करते समय भाषा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पड़ती हैं। ताकि जन भावना हम नहीं हो मुद्रित या प्रिंट दृश्य श्रव्य माध्यम से अलग अर्थात् रेडियो पर चित्र दृश्य दिखा पाने की सुविधा नहीं रहती पर इस कमी को उपयुक्त शब्दों को स्वरों के सही उत्तराव चढ़ाव के साथ दूर किया जा सकता है।

दृश्य श्रव्य माध्यम या टीवी पत्रकारिता को इस दृष्टि से सबसे सशक्त माना जा सकता है उद्देश्य पूर्ण पत्रकारिता के लिए टीवी सर्वाधिक उपयुक्त माध्यम हैं।

 

३. प्रस्तुतीकरण

पत्रकारिता के अंतर्गत समाचारों से अलग पर समाचार आधारित अन्य स्वरूप भी होती है। जो विषय के महत्व के स्वरूप भी होती हैं। जो विषय के महत्व के अनुरूप अलग-अलग होते हैं अर्थात समाचार सूचना या जानकारी को हम लोगों तक पहुंचाने का जो तरीका अपनाया जाता है उसे ही प्रस्तुतीकरण कहते हैं जैसे साक्षात्कार के लिए प्रश्न और उत्तर वालो स्वरूपों सामने होगा तो फीचर या रूपक में साक्षात्कार टिप्पणी इतिहास पूर्वानुमान अकलन या संवादों के द्वारा प्रस्तुतीकरण किया जा सकता है। प्रस्तुतीकरण के स्वरूप के आधार पर ही भाषा में अंतर आ जाएगा। यज्ञ उसके विषय श्रोता दर्शक और पाठक की रूचि बौद्धिक स्तर आयु वर्ग और आवश्यकता पर भी निर्भर करता है। इन तथ्यों के आलोक में पत्रकारिता का स्वरूप व्याख्यात्मक संक्षिप्त अथवा विस्तृत व्यंग्यात्मक विश्लेषणात्मक समीक्षात्मक साहित्यिक और मनोरंजन हो सकता है।

 

पत्रकारिता के भेद (patrakarita ke prakar bataiye)

पत्रकारिता के तीन प्रमुख प्रभेद माने गए हैं

१. भौगोलिक क्षेत्र

२. विषय

३. रचना प्रक्रिया

 

१. भौगोलिक क्षेत्र

पत्रकारिता को भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है-

क) ग्रामीण पत्रकारिता

इसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित विषयों को प्रमुखता दी जाती हैं जैसे ग्रामीण विकास पंचवर्षीय या अन्य सरकारी योजनाओं की स्थिति ग्रामीणों की समस्या और उनका निराकरण तथा अन्य ग्रामोपयोगी गतिविधियों और कार्यक्रमों को जनता के सम्मुख लाना इस पत्रकारिता का प्रमुख उद्देश्य होता है।

 

ख) शहरी पत्रकारिता

शहर के तमाम गतिविधियों से संबंधित रिपोर्ट और अन्य आलेख इसके अंतर्गत प्रस्तुत किये जाते हैं। शहरी क्षेत्रों के लोगों की आवश्यकता समस्या मनोरंजन और रुचि को ध्यान में रखकर की गई पत्रकारिता इस श्रेणी में रखी जाती हैं।

 

ग) राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और विदेशी पत्रकारिता

आवश्यकता प्रभाव और महत्व के आधार पर राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय और विदेश के समाचारों एवं अन्य सूचनाओं को पाठको श्रोताओं और दर्शकों के लिए जल्द प्रस्तुत किया जाता है तब उन्हें इस श्रेणी के अंतर्गत रखा जाता है।

 

२. विषय

आज के जीवन में पत्रकारिता का प्रभाव एवं उसकी पहुंच इतनी गहरी है कि कोई भी विषय इससे अछूता नहीं रह गया है। राजनीतिक आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों के अलावा महिला युवा किशोर बाल कृषि चिकित्सा साहित्य वाणिज्य खेल शिक्षा फिल्म टीवी और वे सभी विषय जिनके संबंध में आम लोगों को जानने की आवश्यकता या उत्सुकता होती है वह सभी विषय पत्रकारिता की सीमा में सकते हैं।

 

३. रचना प्रक्रिया

पत्रकारिता के नियम लेखन का जो तरीका अपनाया जाता है उसे रचना प्रक्रिया कहते हैं इसके आधार पर पत्रकारिता को व्याख्यात्मक समीक्षात्मक विश्लेषणात्मक सामान्य आलेख प्रश्नोत्तर आदि प्रभेदो में बांटा जा सकता है लेखन के तरीके और आवश्यकता के अनुसार लेख या समाचार का आकार घटाया या बढ़ाया जा सकता है इसके लिए पर्याप्त जानकारी और लेखन शैली में विशेषज्ञता होना आवश्यक है।

 

पत्रकारिता के अन्य प्रकार:-

खोजी पत्रकारिता या अन्वेषी पत्रकारिता: 

खोजी पत्रकारिता या अन्वेषी पत्रकारिता एक ऐसी पत्रकारिता है जिसमें मनुष्य किसी भी घटना या इतिहास के बारे में उसके जड़ तक पहुंचने का प्रयास करता है। कभी-कभी ऐसी घटनाएं घटित होती है कि लोग उसके बारे में अफवाह है फैलाते हैं पत्रकार घटनाओं के बारे में जानकारी एकत्रित करता है और उन अफवाहों को दूर करने का प्रयास करता है और सच को सामने लाता है खोजी पत्रकारिता एक जोखिम भरी काम होता है। यह एक जासूसी का दूसरा रूप भी है। कई बार इस प्रकार के पत्रकार को उस घटना तक पहुंचने में कई वर्ष लग जाते हैं कुछ तो उन घटनाओं तक पहुंचते-पहुंचते थक कर हार मान लेते हैं पर खोजी या अन्वेषी पत्रकारिता घटना का सही विश्लेषण करता है।

खेल पत्रकारिता:

खेल केवल मनोरंजन का साधन नहीं है बल्कि मनुष्य के अच्छे स्वास्थ्य का पूरक भी है जिससे मानव शरीर का विकास और मानसिक विकास या बौद्धिक विकास में सहायक सिद्ध होता है इसलिए तो प्राचीन काल से ही खेलों का प्रचलन हर क्षेत्र में हो रहा है। आज पूरे विश्व में खेल इतना महत्वपूर्ण हो गया है कि लोग इसके बारे में जानना पसंद करते हैं और इसके बारे में खोजते रहते हैं पत्रकारिता उन जरूरतों को पूरा करता है और उन लोगों तक उन खेलों के बारे में सूचनाएं पहुंचाते रहता है आज खेल पत्रकारिता इतना प्रचलित हो चुका है कि लोग इसके दीवाने हो चुके हैं।

महिला पत्रकारिता:

स्त्री और पुरुष में जो भेदभाव लोगों में है उसे दूर करने तथा स्त्रियों को प्रोत्साहन और हर क्षेत्र में आगे लाने के लिए महिला पत्रकारिता का महत्वपूर्ण स्थान है जिस तरह का से पुरुष हर क्षेत्र में आगे हैं उसी प्रकार स्त्रियों को भी जागरूक करने के लिए विभिन्न पत्रिकाएं निकलते रहते हैं आज पूरे विश्व में महिला पत्रिका का विख्यात उदाहरण हमारे सामने हैं प्राचीन काल में जिस तरह से महिलाओं पर अत्याचार हुआ करते थे अब आधुनिक युग में ऐसा ना हो इस पर कई प्रकार के पत्र पत्रिकाएं और उनके अधिकारों के बारे में जानकारियां महिला पत्रिकाएं में दी जाती है जिससे महिलाएं जागरूक हो सके।

बाल पत्रकारिता : 

बच्चों के मानसिक विकास शारीरिक विकास एवं बौद्धिक क्षमता को विकसित करने के लिए बल पत्रकारिता का महत्वपूर्ण स्थान है 19वीं सदी में कॉमिक, कहानियां, मोरल स्टोरी, नानी की कहानियां, नागराज की कहानियां, और छोटी छोटी बहुमूल्य कहानिया और कविताएं प्रकाशित होती थी जो बच्चों के बौद्धिक क्षमता को विकसित करती थी आज के आधुनिक युग में इंटरनेट ने बच्चों के जीवन को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है आपके इंटरनेट के अंतरजाल में बुरी तरह से फंस चुके हैं अब उन्हें कॉमिक, नागराज की कहानियां कार्टून मोरल स्टोरी इन सब से बिल्कुल भी दिलचस्पी दिखाई नहीं देता। आज भी बच्चों को जागरूक करने के लिए बाल पत्रिकाएं प्रकाशित होती है बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के क्विज चित्र कार्टून कविताएं कहानियां जैसे अनेक प्रतियोगिताएं कराई जाती हैं और उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है।

 

 

भारत में पत्रकारिता का आरंभ (bharat mein patrakarita ki shuruaat kab hui)

29 जनवरी 1780 में जेम्स ओगस्टर हिक्की के बंगाल गजट या कोलकाता जर्नल एडवाइजर नाम से एक सप्ताहिक समाचार पत्र का प्रकाशन आरंभ हुआ या भारत का पहला मुद्रित समाचार पत्र है। इसे भारत में औपचारिक तौर पर पत्रकारिता का आरंभ माना जाता है। इस समाचार पत्र में देश-विदेश और स्थानीय संवादाताओं द्वारा तैयार किए गए समाचार लेख और उनके चिठियां प्रकाशित होती थी। बाद में इस समाचार पत्र का बंगाल हैकारा नामक अन्य समाचार पत्र में विलम हो गया

फिर देशबंधु चितरंजन दास ने डेली न्यूज़ नाम से इसे पूनर्प्रकाशित किया पर जल्द ही या बंद हो गया। उस समय के बाद इसी समाचार को फॉरवर्ड नाम से छापा जाने लगा।

1780 में ही भारत से प्रकाशित होने वाला दूसरा समाचार पत्र इंडिया गजट था परंतु इसमें केवल ईस्ट इंडिया कंपनी के समाचार और उसकी सूचनाएं प्रकाशित होती थी या एक अंग्रेजी पत्र था। 1784 में कलकत्ता गजट या ओरियंटल एडवर्टाइज का प्रकाशन कलकत्ता से हुआ अंग्रेजी के इस समाचार पत्र में फारसी भाषा का एक स्तंभ या कोल्ब प्रकाशित होता था। इसके बाद 1785 में मद्रास कुरयर मद्रास यानी चेन्नई से 1795 में बंगाल हरकारा कलकत्ता से और 1818 में फ्रेट ऑफ इंडिया कलकत्ता से प्रकाशित हुआ।

भारत में पहला समाचार पत्र बांग्ला भाषा में 1818 में दिग्दर्शन नाम से प्रकाशित हुआ कोलकाता से प्रकाशित या बांग्ला समाचार बाद में बांग्ला तथा अंग्रेजी दोनों भाषाओं में अलग-अलग प्रकाशित होने लगा। बांग्ला भाषा में ही समाचार दर्पण, संवाद कौमुदी, समाचार चंद्रिका आदि समाचार पत्रों का प्रकाशन 19वीं सदी के प्रारंभ में हुआ 1822 में फारसी भाषा में मिरातुल अखबार फिर उर्दू में जहानुमा का प्रकाशन हुआ। 1832 में गुजराती भाषा में मुंबई समाचार प्रकाशित हुआ।

भारत में पत्रकारिता का आरंभ अंग्रेजी भाषा के समाचार पत्रों के साथ होने के बावजूद जल्दी ही अन्य भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता जगत में अपना स्थान बनाना आरंभ कर दिया।

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