hindi varnmala हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन सम्पूर्ण जानकारी, वर्णों के उच्चारण स्थान

hindi varnmala हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन सम्पूर्ण जानकारी, वर्णों के उच्चारण स्थान

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hindi varnmala हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन सम्पूर्ण जानकारी

वर्ण किसे कहते हैं?

लिखित भाषा की सबसे छोटी मूल ध्वनि को वर्ण कहते हैं जिसके टुकड़े नहीं किए जा सकते हैं।

उदाहरण:

अ आ इ ई उ……

क् त् ठ् म्

 

वर्णमाला किसे कहते हैं

वर्णों एक निश्चित क्रम में लिखना वर्णमाला कहलाता है।

हिंदी की वर्णमाला में पहले स्वर वर्णों तथा बाद में व्यंजन वर्णों की व्यवस्था है।

 

हिंदी की वर्णमाला में कितने वर्ण होते हैं

हिंदी की वर्णमाला में कुल 52 वर्ण होते हैं।

 

हिंदी वर्णमाला में कितने व्यंजन होते हैं

हिंदी वर्णमाला में 41 व्यंजन होते हैं। जिसमें मूल व्यंजन की संख्या 33 हैं। संयुक्त व्यंजन की संख्या 4 हैं और अन्य व्यंजन भी 4 हैं।

 

हिंदी वर्णमाला के 52 अक्षर कौन-कौन हैं

हिंदी वर्णमाला के 52 अक्षर इस प्रकार के हैं-

स्वर वर्ण : अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ

व्यंजन वर्ण : 

क् ख् ग् घ् ङ्

च् छ् ज् झ ञ्

ट् ठ् ड् ढ् ण्

त् थ् द् ध् न्

प् फ् ब् भ् म्

य् र् ल् व्

श् ष् स् ह्

संयुक्त व्यंजन: क्ष त्र ज्ञ श्र

अन्य व्यंजन: ज़् ड़् ढ़् फ़्

 

वर्ण कितने प्रकार के होते हैं

वर्ण 3 प्रकार के होते हैं-

i.स्वर वर्ण।    ii. व्यंजन वर्ण    iii. अयोगवाह

 

स्वर किसे कहते हैं इसके कितने प्रकार हैं

जिन वर्णों का उच्चारण बिल्कुल स्वतंत्र रूप से होता है तथा इनका उच्चारण करते समय किसी अन्य वर्ण की सहायता नहीं ली जाती है उन्हें स्वर कहते हैं।

स्वर तीन प्रकार के होते हैं-

i. ह्रस्व स्वर

ii. दीर्घ स्वर

iii. प्लुत स्वर

 

ह्रस्व स्वर किसे कहते हैं

जिन स्वरों को बोलने में सबसे कम समय लगता है, उसे ही  ह्रस्व स्वर कहते हैं।

 

ह्रस्व स्वर कितने होते हैं

ह्रस्व स्वर की संख्या 4 हैं- अ इ उ ऋ।

 

दीर्घ स्वर किसे कहते हैं

जिन स्वरों को बोलने में ह्रस्व स्वर से दोगुना समय लगता है, उसे ही दीर्घ स्वर कहते हैं।

 

दीर्घ स्वर कितने होते हैं

दीर्घ स्वर 7 होते हैं-  आ ई ऊ ए ऐ ओ औ  (ऑ)

 

प्लुत स्वर किसे कहते हैं

जिन स्वरों को बोलने में ह्रस्व स्वर और दीर्घ स्वर से भी अधिक समय लगता है उसे प्लुत स्वर कहते हैं।

प्लुत स्वरों का प्रयोग पुकारने और मंत्रों का उच्चारण करने के लिए किया जाता है। जिस वर्ण का प्लुत के रूप में उच्चारण किया जाता है, उसके आगे हिंदी की गिनती का अंक ३ लगाया जाता है; जैसे आरे बेटा३, सुनो३ ओ३म् आदि।

 

हिंदी वर्णमाला में कितने स्वर होते हैं

परंपरा के अनुसार इनकी संख्या 13 मानी गई है। (अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ अं अ:) लेकिन उच्चारण के अनुसार 10 स्वर होते हैं। (अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ)

 

मात्रा किसे कहते हैं

स्वरों के निश्चित चिह्न को मात्रा कहते हैं। इनकी संख्या 10 है।

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व्यंजन किसे कहते हैं तथा इसके कितने भेद हैं?

जिन वर्णों के उच्चारण में स्वर वर्णों की सहायता ली जाती है उन्हें ही व्यंजन कहते हैं। प्रत्येक व्यंजन के उच्चारण में ‘अ’ की ध्वनि छिपी रहती है। इसके आप हमें व्यंजन का उच्चारण असंभव है। (जैसे: च्+अ=च)। व्यंजनों का उच्चारण करते समय वायु मुख में रुक कर बाहर आती है। व्यंजन वर्ण किसी न किसी रूप में स्वर वर्ण ऊपर आश्रित है।

व्यंजन वर्ण को तीन भागों में बांटा गया है-

i. स्पर्श व्यंजन

ii. अंतस्थ व्यंजन

iii. ऊष्मा व्यंजन

उच्चारण में वायु टकराने के विचार से व्यंजनों के दो भेद है-

i. अल्पप्राण

ii. महाप्राण

 

स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं

जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय वायु कंठ, मुर्धा, दांत और ओठों स्पर्श (छूते हुए) करके मुख से बाहर आती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं।

 

स्पर्श व्यंजन कितने होते हैं तथा उनका उच्चारण स्थान क्या है?

स्पर्श व्यंजन की संख्या 25 हैं। स्पर्श व्यंजन के 5 वर्ग हैं।

स्पर्श व्यंजन के 5 वर्ग तथा उनका उच्चारण स्थान:-

क वर्ग: क ख ग घ ङ (कंठ्य)

च वर्ग: च छ ज झ ञ (तालव्य)

ट वर्ग: ट ठ ड ढ ण (मूर्द्धन्य)

त वर्ग: त थ द ध न (दन्त्य)

प वर्ग: प फ ब भ म (ओष्ठ्य)

 

अंतस्थ व्यंजन किसे कहते हैं

जिन व्यंजनों का उच्चारण स्वर और व्यंजन के बीच का होता है उन्हें अंतस्थ व्यंजन कहते हैं। इनका उच्चारण जीभ, तालु दांत और ओष्ठों के सटाने से होता है।

 

अंतस्थ व्यंजन कितने होते हैं,अंतस्थ व्यंजन कौन-कौन से हैं

अंतस्थ व्यंजन की संख्या चार हैं- य् र् ल् व्।

 

ऊष्म व्यंजन किसे हैं

जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय वायु मुख में टकराकर गर्मी पैदा करती है या रगड़ से वायु ऊष्म होकर बाहर आता है  उसे ही ऊष्म व्यंजन कहते हैं।

 

ऊष्म व्यंजन कितने होते हैं ऊष्म व्यंजन कौन-कौन से हैं

ऊष्म व्यंजन 4 होते हैं: श, ष, स, ह।

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अल्पप्राण किसे कहते हैं, अल्पप्राण व्यंजन किसे कहते हैं

जिन वर्णों के उच्चारण में श्वास मुख से सीमित मात्रा में निकलती है तथा जिसमें ‘हकार’ जैसी ध्वनि नहीं होती उन्हें अल्पप्राण व्यंजन कहते हैं।

अल्पप्राण व्यंजन कौन कौन से हैं?, अल्पप्राण व्यंजन की संख्या कितनी होती है?

अल्पप्राण व्यंजन प्रत्येक वर्ग का पहला, तीसरा और पांचवा वर्ण एवं अंत:स्थ व्यंजन अल्पप्राण व्यंजन होता है। अल्पप्राण व्यंजन की संख्या 20 होती है।

क वर्ग: क ग ङ

च वर्ग: च ज ञ

ट वर्ग: ट ड ण ड़

त वर्ग: त द न

प वर्ग: प ब म

य र ल व

 

महाप्राण व्यंजन किसे कहते हैं

ऐसे व्यंजन जिसको बोलने में सबसे अधिक जोड़ देना पड़ता है तथा इन व्यंजनों के उच्चारण में हकार जैसे ध्वनि विशेष रूप में निकलती है साथ ही उच्चारण के समय मुंह से अधिक वायु निकलते हैं उसे ही महाप्राण व्यंजन कहते हैं।

 

महाप्राण व्यंजन कितने होते हैं, महाप्राण की संख्या कितनी है, महाप्राण व्यंजन कौन-कौन से हैं

महाप्राण व्यंजन की संख्या 15 होती है महाप्राण व्यंजन प्रत्येक वर्ग का दूसरा तथा चौथा वर्ण साथ ही ऊष्म व्यंजन महाप्राण व्यंजन है-

क वर्ग: ख घ

च वर्ग: छ झ

ट वर्ग: ठ ढ ढ़

त वर्ग: थ ध

प वर्ग: फ भ

श, ष, स, ह

 

कंपन के आधार पर वर्ण कितने प्रकार के होते हैं और कौन-कौन से होते हैं

कंपन के आधार पर वर्ण को दो भागों में बांटा गया है-

१.घोष या सघोष

२.अघोष

 

घोष व्यंजन किसे कहते हैं

आवाज के विचार से जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में स्वर तंत्रियां गूंजने लगती है उसे ही घोष या सघोष व्यंजन कहते हैं। घोष में स्वर का उपयोग होता है। घोष वर्ण प्रत्येक वर्ग का तीसरा चौथा और पांचवां वर्ण सारे स्वर वर्ण तथा अंतस्थ व्यंजन आदि शामिल है।

क वर्ग: ग घ ङ

च वर्ग: ज झ ञ

ट वर्ग: ड ढ ण

त वर्ग: द ध न

प वर्ग: ब भ म

य र ल व

अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ अं अ:

 

अघोष व्यंजन किसे कहते हैं अघोष व्यंजन कौन कौन से होते हैं?

जिन व्यंजनों के उच्चारण में स्वर तंत्रियों में गूंजन नहीं होती है। उन्हें अघोष व्यंजन कहते हैं अघोष व्यंजन प्रत्येक वर्ग का पहला और दूसरा वर्ण तथा ऊष्म व्यंजन अघोष व्यंजन होता है।

क वर्ग: क ख

च वर्ग: च छ

ट वर्ग: ट ठ

त वर्ग: त थ

प वर्ग: प फ

श ष स

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संयुक्त व्यंजन किसे कहते हैं उदाहरण सहित तथा संयुक्त व्यंजन कितने होते हैं

दो अलग-अलग व्यंजनों की मिलने से संयुक्त व्यंजन बनता है हिंदी वर्णमाला में चार संयुक्त व्यंजन होते हैं- क्ष त्र ज्ञ श्र।

इसके अलावा भी और भी बहुत सारे संयुक्त व्यंजन होते हैं जैसे:- उदाहरण के रूप में।

श्+च=श्च (पश्चात, निश्चय)

च्+छ= च्छ (कच्छा)

ग्+र=ग्र (ग्रह,ग्रास)

ज्+व=ज्व (ज्वाला, ज्वार)

 

द्वित्व व्यंजन किसे कहते हैं उदाहरण सहित लिखें।

दो समान व्यंजनों के मिलने से बनने वाले व्यंजन को द्वित्व व्यंजन कहते हैं जैसे:-

म्+म= म्म ( निकम्मा, अम्मा)

क्+क= क्क ( पक्का, चक्का)

च्+च= च्च ( बच्चा, सच्चा)

त्+त= त्त (कुत्ता, पत्ते)

स्+स= स्र (रस्सी, लस्सी)

 

हिंदी वर्णमाला में कितने व्यंजन होते हैं

हिंदी वर्णमाला में 41 व्यंजन होते हैं-

क् ख् ग् घ् ङ्

च् छ् ज् झ ञ्

ट् ठ् ड् ढ् ण्

त् थ् द् ध् न्

प् फ् ब् भ् म्

य् र् ल् व्

श् ष् स् ह्

चार संयुक्त व्यंजन: क्ष त्र ज्ञ श्र

चार अन्य व्यंजन: ज़् ड़् ढ़् फ़्

 

हिंदी वर्णमाला में कितने मूल व्यंजन होते हैं

हिंदी वर्णमाला में 33 मूल व्यंजन होते हैं-

क् ख् ग् घ् ङ्

च् छ् ज् झ ञ्

ट् ठ् ड् ढ् ण्

त् थ् द् ध् न्

प् फ् ब् भ् म्

य् र् ल् व्

श् ष् स् ह्

वर्णों के उच्चारण स्थान

वर्णों के उच्चारण मुख के भिन्न-भिन्न भागों से होते हैं। इन्हें उच्चारण स्थान कहते हैं। मुख के छः भाग हैं-
i. तालु
ii. मूर्ध्दा
iii. दांत
iv. ओंठ
v. नाक
vi. कंठ
उच्चारण स्थान भिन्न होने के कारण वर्णों की निम्नलिखित श्रेणियां मिलती हैं-

१. कंठ्स:-
कंठ से उच्चारित ध्वनियों को कंठ ध्वनियां कहा जाता है। जैसे:- क, ख, ग, घ, ह, विसर्ग (अ:) तथा अ, आ।

२. तालव्य:- तालु से उच्चारित ध्वनियों को तालव्य ध्वनियां कहा जाता है। जैसे:- च, छ, ज, झ, इ और ई ।

३. मूर्ध्दन्य:- मूर्ध्दा से उच्चारित ध्वनियों को मूर्ध्दन्य कहा जाता है। जैसे: ट, ठ, ड, ढ, र, ष और ऋ।

४. दन्त्य:- दांत और जीभ के स्पर्श से उच्चारित वर्ण दन्त्य कहलाते हैं। जैसे: त, थ, द, ल, स।

५. ओष्ठ्स:- दोनों ओंठो के स्पर्श से उच्चारित ध्वनियों को ओष्ठ्स कहा जाता है। जैसे: प, फ, ब, भ, उ, ऊ।

६. दन्त्योष्ठ्स:- दांत और ओंठ से जिन वर्णों का उच्चारण होता है, दन्त्योष्ठ्स कहलाता है। जैसे: ब।

७.अनुनासिक: इन वर्गों का उच्चारण मुख और नाक से होता है। जैसे: ड़, ण, न, म, अं और ञ।

८. कंठ तालव्य: कंठ और तालु से उच्चारित वर्ण कंठ तालव्य कहलाते हैं। जैसे: ए, ऐ।

९. कंठोष्ठ्स:- जिनका उच्चारण कंठ और ओंठो से होता है, कंठोष्ठ्स वर्ण कहलाता है। जैसे ओ, औ।

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