कहानी कथन विधि के गुण और दोष


 कहानी कथन विधि क्या है

कहानी कथन विधि प्राथमिक स्तर पर भाषा शिक्षण की उपयोगी विधि है क्योंकि छोटे बच्चों को कहानी सुनने का बहुत शौक होता है वह छोटी अवस्था से ही अपने माता पिता दादा दादी नाना नानी इत्यादि से कहानी सुनते हैं अतः कहानी के माध्यम से उन्हें कोई भी ज्ञान बड़ी आसानी से दिया जा सकता है भाषा विषय वस्तु का ज्ञान भी उन्हें कहानियों के माध्यम से दिया जा सकता है अध्यापकों कहानी कहने एवं बनाने की कला में निपुण होना चाहिए

व्याख्यान विधि,

कहानी कथन विधि के गुण और दोष

कहानी कथन विधि के गुण

१. कहानी कथन विधि से पढ़ाने से बालकों की रूचि एवं जिज्ञासा पाठ में बनी रहती है।

२. एक मनोवैज्ञानिक विधि है।

३. इसमें ज्ञान प्राप्ति के साथ-साथ बच्चों का मनोरंजन भी होता रहता है।

४. इस विधि के द्वारा बच्चों तक उद्देश्यों को पहुंचाना संभव होता है।

५. कहानी कथन विधि द्वारा निराश एवं उबाव विषय वस्तु को भी सरस और प्रभावपूर्ण बनाया जा सकता है।

६. इस विधि में वास्तविक तथ्यों को ही छात्रों के समूह रखा जाता है।

७. इस विधि में छात्र कक्षा से भागना नहीं चाहते बल्कि कहानी सुनने की प्रतीक्षा करते रहते हैं।

 

कहानी कथन विधि के दोष

१. प्रत्येक अध्यापक कहानी कहानी एवं बनाने की कला में निपुण नहीं होता।

२. उच्च स्तर पर इसका प्रयोग करना थोड़ा कठिन है।

३. हर किसी अध्यापक को प्रभावपूर्ण कहानी सुनाने की आदत नहीं होती जिसके कारण विद्यार्थी उबाव होने लगते हैं।

 

कहानी कथा विधि का उपयोग करते समय भी अध्यापक को कुछ सावधानियां वरतनी चाहिए –

कहानी कथन विधि की सावधानियां

१. कहानी बनाते समय अध्यापक को उसके उद्देश्यों से पूर्णता अवगत होना चाहिए।

२. शिक्षकों छात्रों के मानसिक इस तरह का ध्यान रखना चाहिए।

३. भाषा सरल एवं बालकों के आयोग के अनुसार होनी चाहिए।

४. अध्यापकों का शैली प्रभावपूर्ण होनी चाहिए।

५. कहानी ऐसी हो जिससे विद्यार्थियों की जिज्ञासा बढ़े।

६. प्रसंग के अनुसार उपलब्ध शिक्षण सामग्री का प्रयोग करना चाहिए।

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